परिचय
उत्तराखंड की दिव्य भूमि में बसे अनेक तीर्थस्थलों में से एक प्रमुख मंदिर है हाट कालिका मंदिर, जो माँ काली को समर्पित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास, संस्कृति और देशभक्ति का भी प्रतीक है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहाँ माँ के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।
स्थान: गंगोलीहाट, जिला पिथौरागढ़, उत्तराखंड
समर्पित देवी: माँ काली (हाट कालिका)
मंदिर का इतिहास
आदि शंकराचार्य की स्थापना
हाट कालिका मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है। ऐसा माना जाता है कि 8वीं शताब्दी में महान संत आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर की स्थापना की थी। उन्होंने माँ काली की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की और इस स्थान को एक शक्तिपीठ के रूप में स्थापित किया।
पौराणिक मान्यता
लोक मान्यता के अनुसार, यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहाँ माँ सती के दाहिने पैर की अंगुली गिरी थी। इसी कारण इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है। माँ काली यहाँ 'हाट कालिका' के रूप में पूजी जाती हैं, जो विनाश और सृजन दोनों की प्रतीक मानी जाती हैं।
सेना और मंदिर का गहरा संबंध
कुमाऊँ रेजीमेंट, जो भारतीय सेना की एक प्रमुख रेजीमेंट है, हाट कालिका मंदिर को अपनी कुलदेवी मानती है। हर वर्ष रेजीमेंट के अधिकारी और जवान यहाँ पूजा-अर्चना करने आते हैं। मंदिर परिसर में एक संग्रहालय भी है जहाँ कुमाऊँ रेजीमेंट के इतिहास, शौर्य और बलिदान की कहानियाँ प्रदर्शित की गई हैं।
मंदिर की विशेषताएँ
माँ कालिका की जागृत मूर्ति
शांत और आध्यात्मिक वातावरण
घने देवदार के वृक्षों से घिरा हुआ मंदिर परिसर
देशभक्ति और भक्ति का अद्भुत संगम
कुमाऊँनी संस्कृति की झलक
हाट कालिका मंदिर कैसे पहुँचें?
निकटतम शहर: गंगोलीहाट (लगभग 3 किमी)
जिला मुख्यालय: पिथौरागढ़ (लगभग 75 किमी)
रेलवे स्टेशन: टनकपुर (लगभग 150 किमी)
हवाई अड्डा: पंतनगर (लगभग 220 किमी)
सड़क मार्ग: गंगोलीहाट तक टैक्सी और बस की सुविधा उपलब्ध है। वहां से मंदिर तक सड़क मार्ग और पैदल यात्रा द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
--ठहरने की सुविधा
गंगोलीहाट और पिथौरागढ़ में रहने के लिए होटल, धर्मशालाएं और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। कुछ श्रद्धालु मंदिर परिसर के पास भी अस्थायी ठहराव करते हैं।
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यात्रा का उत्तम समय
मार्च से जून और फिर सितंबर से नवंबर तक का समय हाट कालिका मंदिर की यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा और भंडारे का आयोजन होता है।
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निष्कर्ष
हाट कालिका मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह है जहाँ आस्था, वीरता और प्रकृति एक साथ अनुभव होती हैं। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अगर आप उत्तराखंड की गोद में एक अलौकिक और आध्यात्मिक अनुभव की तलाश में हैं, तो हाट कालिका मंदिर की यात्रा जरूर करें।
जय माँ कालिका!
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