बुधवार, 16 अप्रैल 2025

पाताल भुवनेश्वर – धरती के गर्भ में छिपा अद्भुत तीर्थ

भारत की धरती रहस्यों से भरी हुई है, और उत्तराखंड की पर्वतीय गोद में बसी पाताल भुवनेश्वर गुफा इसका जीवंत प्रमाण है। यह कोई आम तीर्थस्थल नहीं, बल्कि ऐसा स्थल है जिसे धरती का गर्भ कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यह स्थान आस्था, इतिहास और प्रकृति की कला का अनोखा संगम है।
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स्थान परिचय:

स्थान: भुवनेश्वर गाँव, गंगोलीहाट से 14 किमी, जिला पिथौरागढ़, उत्तराखंड

ऊँचाई: 1,350 मीटर (समुद्र तल से)

गुफा की गहराई: लगभग 90 फीट

लंबाई: लगभग 160 मीटर

समर्पित: भगवान शिव और 33 करोड़ देवी-देवताओं को

पौराणिक मान्यताएँ और इतिहास

पाताल भुवनेश्वर का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। मान्यता है कि त्रेता युग में सूर्य वंश के राजा ऋतुपर्ण ने इस गुफा की खोज की थी। गुफा को फिर से 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने खोजा और यहाँ पूजा-पाठ की परंपरा को पुनः शुरू किया।

यह गुफा सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि ऐसा स्थान है जहाँ ऐसा माना जाता है कि शेषनाग के फन पर यह पूरी गुफा टिकी हुई है। यहाँ 33 करोड़ देवी-देवताओं की उपस्थिति का अनुभव किया जा सकता है।

गुफा के भीतर का अनुभव

गुफा का प्रवेश द्वार संकरा और गहराई में जाता हुआ है। एक संकरी सुरंग से होते हुए आप जैसे-जैसे भीतर उतरते हैं, आपको प्राकृतिक चूना पत्थर से बनी अद्भुत आकृतियाँ दिखेंगी, जो पौराणिक कथाओं से मेल खाती हैं:

शेषनाग – जिनके फन पर गुफा टिकी मानी जाती है

कालभैरव का मुख – मृत्यु का प्रतीक

कल्पवृक्ष – इच्छाएँ पूर्ण करने वाला पेड़

गंगा की धाराएं – गुफा की छत से टपकते जल की धाराएं

भगवान गणेश की टूटी सूंड – त्रेता युग से जुड़ी मान्यता


प्राकृतिक रूप से बनी ये संरचनाएं किसी मूर्तिकार की नहीं, बल्कि प्रकृति की अद्भुत रचना हैं।

यात्रा मार्ग और कैसे पहुँचें

नजदीकी प्रमुख स्थल:

गंगोलीहाट – 14 किमी

पिथौरागढ़ – 90 किमी

अल्मोड़ा – 120 किमी


निकटतम रेलवे स्टेशन: काठगोदाम (190 किमी)

निकटतम हवाई अड्डा: पंतनगर (210 किमी)


सड़क मार्ग से: काठगोदाम या हल्द्वानी से टैक्सी या बस द्वारा गंगोलीहाट पहुँच सकते हैं। वहाँ से पाताल भुवनेश्वर के लिए लोकल वाहन या निजी टैक्सी मिलती है।

बेहतर समय यात्रा के लिए

अक्टूबर से जून: सबसे उपयुक्त मौसम होता है।

मानसून (जुलाई–सितंबर): यात्रा से बचें क्योंकि रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं।

सर्दी में (दिसंबर–जनवरी): बहुत ठंड होती है, परंतु यात्रा संभव है।

आवास और सुविधाएँ

गुफा के पास सीमित सुविधाएं हैं, लेकिन गंगोलीहाट और बेरीनाग में रहने के लिए छोटे होटल और गेस्टहाउस उपलब्ध हैं। अगर आप शांत वातावरण में रात बिताना चाहें, तो यह स्थान एकदम उपयुक्त है।

कुछ विशेष सुझाव:

गुफा के भीतर फोटोग्राफी और वीडियो शूटिंग की अनुमति नहीं है।

गुफा में सीढ़ियाँ और रास्ते संकरे हैं, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को सावधानी बरतनी चाहिए।

स्थानीय गाइड की मदद लेना लाभकारी होता है, जो आपको हर आकृति और कथा की जानकारी देता है।

ट्रेकिंग या स्पोर्ट शूज पहनना बेहतर होता है।


निष्कर्ष:

पाताल भुवनेश्वर केवल एक तीर्थ नहीं, यह एक अनुभव है – ऐसा अनुभव जो आपको आत्मा से जोड़ता है, प्रकृति की शक्तियों को महसूस कराता है, और भारतीय संस्कृति की गहराई में ले जाता है। यदि आप आध्यात्मिकता, प्रकृति और इतिहास के संगम की तलाश में हैं – तो ये गुफा आपकी अगली यात्रा का हिस्सा अवश्य होनी चाहिए।

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