मां उल्का देवी मंदिर पिथौरागढ़
स्थान: चंडाक रोड, पिथौरागढ़, उत्तराखंड
समुद्र तल से ऊंचाई: लगभग 1,700 मीटर
मुख्य आस्था: मां उल्का देवी (शक्ति स्वरूपा)
मंदिर का इतिहास
पिथौरागढ़ की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच स्थित मां उल्का देवी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यह मंदिर गोरखा राजाओं की कुलदेवी को समर्पित है, जिनके शासनकाल के दौरान इसकी स्थापना मानी जाती है। कालांतर में सेरा गांव के मेहता परिवार ने इसका जीर्णोद्धार कराया, और आज भी यह मंदिर उनके संरक्षण में है।
आस्था और परंपरा
यह मंदिर स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज़ से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। श्रद्धालु यहां विशेष रूप से नवरात्रि, चैतोल उत्सव, और अन्य पर्वों के दौरान माता के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर परिसर में घंटियां चढ़ाने की परंपरा है, जो भक्तों की मन्नत पूरी होने के बाद माता को धन्यवाद स्वरूप अर्पित की जाती हैं।
मंदिर की विशेषताएं
शांत और प्राकृतिक वातावरण
पहाड़ियों और सोर घाटी का विहंगम दृश्य
नियमित पूजा और हवन की व्यवस्था
ऐतिहासिक घंटियों की कतारें
सुलभ सड़क मार्ग द्वारा पहुंच
कैसे पहुंचें?
मां उल्का देवी मंदिर पिथौरागढ़ मुख्यालय से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए स्थानीय टैक्सी या पैदल मार्ग दोनों ही सुविधाजनक हैं। निकटतम बड़े शहर जैसे हल्द्वानी, टनकपुर, या बागेश्वर से पिथौरागढ़ तक बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं।
यात्रा सुझाव
मंदिर की यात्रा के लिए मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का समय सबसे उपयुक्त है।
गर्म कपड़े साथ रखें, क्योंकि ऊंचाई के कारण मौसम ठंडा रह सकता है।
आसपास के अन्य दर्शनीय स्थलों जैसे चंडाक, थलकेत, और कपिलेश्वर मंदिर को भी शामिल करें।
निष्कर्ष:
मां उल्का देवी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, शांति, और प्रकृति की सुंदरता का संगम है। अगर आप उत्तराखंड की आध्यात्मिक यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इस शक्तिपीठ को अपनी सूची में अवश्य शामिल करें।
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